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    पुनर्वास अभियांत्रिकी विभाग

    पुनर्वास इंजीनियरिंग विभाग वर्ष 2008 से बहु-विषयक अनुसंधान और शिक्षा के केंद्र के रूप में कार्य करना शुरू किया। गतिशीलता और अन्य कारकों वाले व्यक्तियों के सहायतार्थ डिजाइन के विभिन्न पहलुओं पर कार्यरत इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और पुनर्वास पेशेवरों के प्रयासों को एकीकृत करने/उपकरणों, प्रणालियों को विकसित करने की आवश्यकताओं को पूरा किया गया । ये उपकरण लोगों को रोज़गार, स्वतंत्र जीवन और शिक्षा से संबंधित दैनिक गतिविधियों में मदद करते हैं। विभाग परिवर्तनकारी अनुसंधान करके, नवीन और प्रभावी पुनर्वास और सहायक तकनीकों को विकसित करके, अपने नए ज्ञान और तकनीकों को हितधारकों तक पहुँचाकर और पुनर्वास इंजीनियरिंग की अगली पीढ़ी को शिक्षित करके दिव्यांगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने के क्षेत्र में अपना ध्यान केंद्रित किए हुए है । यह विभाग दिव्यांगों की सहायता करने और शारीरिक और संज्ञानात्मक कार्यों के तकनीकी समाधान और उपकरण विकसित करने हेतु इंजीनियरिंग सिद्धांतों में एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करने पर जोर देता है। विभाग के समक्ष वैज्ञानिक और इंजीनियरिंग समस्याओं के सफलतापूर्वक समाधान के लिए संसाधन हैं। यह विभाग अनुसंधान और शिक्षा उद्योग और कई प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के साथ निकटता से जुड़ा हुआ हैं ताकि अत्याधुनिक अनुसंधान को बढ़ावा दिया जा सके और स्वयं को इस क्षेत्र में अग्रणी के रूप में स्थापित किया जा सके। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) खड़गपुर, जादवपुर विश्वविद्यालय, भारतीय इंजीनियरिंग विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईईएसटी), शिबपुर, भारतीय सांख्यिकी संस्थान (आईएसआई), कोलकाता और कलकत्ता विश्वविद्यालय जैसे प्रमुख संस्थानों के साथ शैक्षणिक/शोध सुविधाएं और सहयोग विभाग की गतिविधियों उन्नत करने में सहायक सिद्ध होते है । ये सभी प्रयोगशालाएँ उन्नत बायोमैकेनिक्स, मेक्ट्रोनिक्स उपकरणों, बायो-इंजीनियरिंग और उन्नत कम्प्यूटेशनल सुविधाओं से सुसज्जित हैं। पुनर्वास इंजीनियरिंग विभाग पुनर्वास सेवा में उच्च स्तरीय मानव संसाधन प्रशिक्षण विकसित करने के लिए संस्थान के अन्य विभागों के साथ समन्वय के साथ सहभागिता करता है । यह विभाग प्रयोगशाला शोधकर्ताओं, विद्वानों और स्नातकोत्तर छात्रों को नैदानिक डेटा रिकॉर्डिंग और शोध अध्ययन की सुविधा प्रदान करती है।

    अनुसंधान का क्षेत्र:
    – सहायक प्रौद्योगिकी
    – प्लास्टिसिटी और अनुकूलनशीलता
    – प्रोस्थेटिक्स और ऑर्थोटिक्स
    – उपकरण रखरखाव
    – गतिशीलता और सीटिंग
    विकसित प्रौद्योगिकी:
    – स्टेप्स एनालाइजर (डिजिटल इनसोल) गोनियो मीटर के साथ
    – GAIT मैट – मायो इलेक्ट्रिक हैंड ट्रेनर
    – हैंड डायनेमोमीटर और पिंच डायनेमोमीटर
    शैक्षणिक गतिविधि:
    विभाग संस्थान की विभिन्न स्नातक और स्नातकोत्तर शैक्षणिक कार्यकलापों में शिक्षण सेवा प्रदान करने में कार्यरत है और व्यावहारिक परीक्षाएँ आयोजित करता है।
    अनुसंधान गतिविधि:
    विभाग संस्थान के जेआरएफ/एसआरएफ कार्यक्रम की मेजबानी करता है और भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के साथ एक संयुक्त उद्यम परियोजना प्रगति पर है ।